गौर करने वाली बात
गौर करने वाली बात और ध्यान से सोचने वाली बात ये है दोस्तों के जब मैं वहां पर पहुंचा जहां पर मेरे पापा की डेथ बॉडी पड़ी थी, वहां पर सुबह के 6 बज रहे थे, और उस वक्त वहां पर ज़्यादा लोग भी इकट्ठा नही हुए थे,उस वक्त वो आदमी भी वहाँ पर पहले से मौजूद था, जो मेरे चाचा का दोस्त था,
हाँ वही आदमी जो मेरे और मेरे पापा के खिलाफ मेरे चाचा के कान भरा करता था, अब सोचने वाली बात ये है के वो लड़का जिसने मुझे फ़ोन किया था, उस के हिसाब से सबसे पहले मुझे ही मेरे पापा के बारे में खबर मिली थी, और उस आदमी का घर घटना अस्थल से लगभग आधे घंटे की दूरी पर था,यही बात मुझे समझ नही आरही थी के ये आदमी इस वक्त और इतनी सुबह सुबह यहाँ घटना अस्थल पर पहुचा तो कैसे पहुचा,
मैंने कई दिनों तक और कई लोगों से पूछा के उस आदमी को मेरे पापा के बारे में किसने खबर किया था, लेकिन किसी ने ये नही कहा के मैंने उसे खबर किया था, उसके बाद मुझे पूरा यकीन हो गया के मेरे पापा ने आत्महत्या नही की थी, उनकी हत्या की गई थी और ये काम उस आदमी के सिवा कोई नही कर सकता था, वो इसलिए के मेरे पापा की हत्या से एक वही ऐसा आदमी था जिसे लाभ हो सकता था, वो लाभ ये था के मेरे चाचा को मेरे पापा हमेशा यही समझाया करते थे के उसका साथ छोड़ दे, वो आदमी किसी का अपना नही हो सकता, उस आदमी ने तो अपने माता पिता को भी मार पीट करता है, इसलिए तुम उसका साथ छोड़ दो, और यही सब बातें जो मेरे पापा मेरे चाचा को समझाते थे वो सभी बातें मेरे चाचा उस आदमी को बोल देते थे, के मेरे बड़े भाई तुम्हारे बारे में ऐसा ऐसा बोलते है मुझे तुम्हारे साथ नही रहना चाहिए,जब घटना अस्थल वाले दिन जब पुलिस ने मुझ से पूछा था के तमको किसी पर अगर शक है तो तुम उसके नाम पर केस दर्ज करवा सकते हो,
तो मैंने उस आदमी का नाम लेना चाहा पर कुछ लोगों ने मुझे कुछ भी कहने या उसका नाम लेने से मना करदिया, वो इसलिए के वो आदमी के साथ पुलिस भी मिली हुई थी, इसलिए सभी लोगों ने मना कर दिया, लोगों ने मुझसे ये कहा के तुम उसका नाम मत लो, नही तो पुलिस तमको और तुम्हारे पूरे परिवार से पूछ ताछ करेगी और बहुत ज़्यादा परेशान करेगी,
सब लोगों ने मुझसे ये भी कहा के तुम ही अब घर के गार्जियन हो, घर मे माँ है, और एक छोटी बहन है और छोटे भाई है अब सभी का ख्याल तमको ही रखना है, यही सब बातें सुन कर मैंने उस आदमी का नाम नही लिया,
इसकी वजह से वो आदमी आज भी खुले आम घूम रहा है, लेकिन मुझे पूरा यकीन हो गया था के मेरे पापा की हत्या उसी के हाथों हुई है, और उसका मेरे ऊपर ज़ुल्म यहीं तक सीमित नही रहा दोस्तों,और सब से बड़ी बात ये सब वो अपनी मर्ज़ी से नही कर रहा था, ये पूरा कांड का मास्टर माइंड कोई और था, और आदमी मेरे चाचा ही थे जो ये सब मात्र एक ट्रक हासिल करने के लिए करवा रहे थे,,,, अब आगे की कहानी पार्ट 24 में,,,,,,,,
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